Tuesday, June 13, 2017

Thursday, June 8, 2017

हाँ शिकायत है

[29/03, 17:52] Nirali: हाँ शिकायत है मुझे
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समझ लेते है हम उन्हें,
जब वो हमें समझ नही पाते--

लफ्ज-लफ्ज में रहती है शिकायत हमें
पर दिल का दर्द बता नहीं पाते--

सी लेते है होंठ हम भी,
जब वो खामोशी को समझ नहीं पाते--

पी लेते है ऑसुओं के घूॅट हम भी,
जब वो नशे के बगैर कभी आ नहीं पाते---

निहारते है टूटते तारों को
जब हसरतों को कभी पूरा नहीं पाते-----

छुपा लेते है चेहरे को ऑचल में
जब सुबकते ही रहते रो नहीं पाते --

मेरे साथ तड़फती है तेरी यादें भी बहुत
क्योंकि हम उन्हें भी कभी समझा नही पाते --

सब-सब सबकुछ सह लेते हम
बस तुम जाने से पहले अपना तो कह जाते-----

नीरू"निराली"
[05/05, 18:10] Nirali: आखिरी बार
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होगा महसूस तुम्हें भी
हर बीता हुआ लम्हा आखिरी बार,
क्षण भर ठिठके कदम
तो तुम सोचोगे भी आखिरी बार,
पेंड़ के नीचे,मंदिर में या फिर
नुक्कड़ पर खड़ी होगी वो आखिरी बार,
ऑखों में मचल रही होगी लहरें
किनारा पाने को भी आखिरी बार,
जकड़ लेना चाहती होगी
वो तुम्हें बाहों में भी आखिरी बार,
खाँमोशी पूँछेगी अनगिनत सवाल
धड़कनों से भी आखिरी बार,
पूँछ लेगी जुवाँ भी एक सवाल
क्या आओगे तुम फिर कभी आखिरी बार,?
हाँ तब तुम कहोगे कि
"मौत से पहले आऊँगा आखिरी बार"
खुदा करे तुम्हारा आना
कभी हो ही न आखिरी बार----!!

नीरू"निराली"

तुम्हारा थोड़ा सा भी दर्द,
मेरी रंगो से होकर गुजरता है--
तुम्हारी हर परेशानी का,
मतलब ये दिल पूँछता है--
सबब नहीं हमें रिस्तों का
बेनाम है ये-----
वक्त रिस्ते ही नहीं,
तकदीरें भी बदलता है---
जख्म गहरा है फिर भी,
तेरी तलाश में हूँ---
इश्क पागल है फिर भी,
तेरे हर दर्द को समझता है----
मै तेरी निगाहों में रहूँ,
अब ये जरूरी भी नही-----
एक मुहब्बत का घर है ,
जिसमें तू रहता है----------

नीरू"निराली"

Saturday, May 20, 2017

स्मृतियों से झटक मुझे
गर तुम्हे चैन मिल जाए,
जाओ प्रिय दुर्भाग्य तुम्हारा
प्रीत न पीछे आए------------
नीरू"निराली"

Friday, May 12, 2017

गीत

मै मुस्कुराती नहीं हूॅ
पर तन्हाई खिलखिलाती है मुझमें
मै जब भी रूठती हूॅ खुद से
वो परेशानियों का
सबब पूँछती है मुझसे
तब मै मुस्कुराकर कहती हूॅ
बस तू खुश रहे मुझमें
मै जिन्दा हूँ तुझमें
टिक-टिक सुई की आवाज भी न गूँजे जहाॅ
वो ले जाती है वो मुझे नितान्त अकेले में
पूँछती है एक सवाल
क्या तुम्हे खुद से है कोई मलाल ?
झुक जाती है नजरें बिना जवाब के
हाँ है मुझे खुद से मलाल
मेरी काया से लेकर
आत्मा तक जिसने भेद डाली
मेरे इस उपवन का एकमात्र
वही माली
ये तन्हाई तू भी अभी सोच ले
रहना है तुझे इसी वीराने में
क्या तू रह पायेगी ??

Wednesday, April 5, 2017

हम लुटते जा रहे थे हसरतों के नाम पर
छलती रही वफा हमें अपनो के नाम पर
सोचा था कि चलते रहेंगे साथ रास्ते
जुदा हुई है राह मंजिलों के नाम पर
-शुभरात्री
नीरू"निराली"

Saturday, April 1, 2017

हर पल सुख के समुन्दर मे तैरती हूॅ
खोई हुई लहरों को,,
भले ही साहिल की तलाश हो
मै तो तुझमें ही मजधार, पतवार
और फिर किनारा ढूँढती हूॅ----------
नीरू"निराली"

Monday, March 27, 2017

बुत बनकर के रह जायेंगे
वो मीलों के सब पत्थर,,
खाकर ठोकरें जिनसे
तराशा है नसीबों को-----------शुभप्रभात
नीरू"निराली"

Friday, March 24, 2017

प्रेम की लौ

प्रेम की लौ
___________________
विचलित तेरे अन्तःकरण में
जब पुरानी याद थी,
कैसे तेरे उर में समाई बात
मुझसे प्रेम की--!

धमनियाँ मंदिम में भी वो
ताप सा बढने लगा,
उन्माद सी जलने लगी
ज्वाला भी मुझमें प्रेम की--!

नस्तर से जो चुभने लगे
वो शूल मै चुनने लगी,
होने लगी विस्मृत मधुर
पीड़ा भी मुझमें प्रेम की--!

सहस्र दम भरने लगी थी
रात तारों से भरी
बेसुध सी सुस्त  चेतना
खोई थी मुझमें प्रेम की--!

विस्मित सी होकर प्रेम मै
जिस पर लुटाती फिर रही,
समाधि सी जलने ही दे वो
लौ तो मुझमें प्रेम की--!

नीरू"निराली"

Wednesday, March 22, 2017

Srivastav
बगावत खुद से कर ये दिल
भुला दे उस दीवाने को,,
मौसम की हर इक वादी में
जिसने घर बना रखे-----------शुभरात्री
नीरू"निराली"

Tuesday, March 21, 2017

ठहरे कदमों की आहट
पथ का पता नहीं बताती,,
फिर भी एक आहट के लिए
तमाम सरसराहटें सुनती है जिन्दगी----------
नीरू"निराली"

तुम क्यों तपते हो मेरी जलन में
ये आग तो तुम्ही ने लगाई है-?
क्यों खुश होते हो हमें जिन्दा करके
मेरी मौत का पैगाम ये जिन्दगी ही लाई है-?
क्यों नहीं कहते हो तुम इतना
कि तू अपनी नहीं पराई है-?
लम्हों की बात क्या गुजर गए है सारे
मिलन की रात दुबारा फिर कभी न आई है-?
नीरू"निराली"

Monday, March 20, 2017

किस्मत

जन्म तो मेरी आत्मा ने भी
तुम्हारे लिए ही लिया था,,
ये बात और है कि किस्मत में
मेरी तुम्हे नहीं लिखा था------------सुप्रभात
नीरू"निराली"

दर्द

दर्द ही शायरी दर्द ही है गज़ल
दर्द में ही मै जीती हूॅ शाॅम-ए-शहर,,
मुस्कुराना जरा सा भी गर सीख लूॅ
लफ्ज होते अपाहिज रूठ जाती कलम--------------शुभसंध्या
March 15 at 2:05pm · Privac

उसूल

बदसलूकी मेरा लहजा नही है
बदमिजाजी मेरा उसूल है,
दिल में रख या दिमाग में
तेरा इश्क मुझे कुबूल है----'
नीरू"निराली"

अहसास

"किसी के अनछुए अहसास"
क्या मिलना इन हवाओं से
जो न कुछ कहती है,
न सुनती है
अपनी ही मस्ती में
मस्त होकर चली जाती है--------
नीरू"निराली"

Saturday, March 4, 2017

अफसोस


वो छुप सकते थे पहलू में
मगर मैने नही रोका,,
जिन्हे औरों की चाहत हो
वो हर्गिज बन्ध नही सकते------
खोजते रहते है जो जिन्दगी को
दर-बदर हरदम,,
अपने दहलीज का घूॅघट भी
जो उठा नही सकते--
कसम से चाहता है दिल
लगा दूॅ आग गुरुबत को,,
तमाशा देखने वाले
धुॅऐ से जल नही सकते----

Saturday, February 18, 2017

फिर आ जाओ


किया था तुमने जब स्वीकार
लुटाकर सब भूॅलों पर प्यार,,
बिछी थी अधरों पर मुस्कान
ह्दय में उठा था तब मनुहार--!
कहाॅ हो फिर आ जाओ--?

टूटते स्वर को लिया था बाॅध
दी थी मेरे गीतों को एक तान,
जहाॅ को दिये थे मेरे बोल
बना दी जिसने एक पहचान,
कहाॅ हो फिर आ जाओ--?

भर दिये थे तुमने जज्बात
आलिंगन कर मेरे एहसास
ठहरे पानी में हो बरसात
कहीं न बीते ये मधुमास,
कहाॅ हो फिर आ जाओ--?

विरह व्यथा बढती दिनरात
प्राण कहते न अपनी बात
नैनों से हो निसदिन बरसात
करुणामय झुलसी काया जात,
कहाॅ हो फिर आ जाओ--?

नीरू"निराली"

Friday, February 17, 2017

धुॅधला जीवन

धुँधली - धुँधली तस्वीरें हैं
धुँधला जीवन का खेल हुआ --------
जब उम्र ढली तब पता चला
कैसे लोगों से मेल हुआ -------------
तेरे जीवन का अंधियारा
आँखों के दीये से दूर किया ----------
जब आज हमारी बारी है
दिया बाती से दूर किया ---------
जब लड़खड़ाता बचपन था तेरा
मेरा हाथ तेरी बैशाखी थे --------
तुझे ऊँचाइयाँ छूने के लिए
मैंनें सबकुछ था बेच दिया -------
वक्त ने ऐसा बड़ा किया
मुझे बुड्डा तुझे जवान किया --------
कमज़ोर हाथ माँगने लगे
बैशाखी तेरे हाथों की --------
कंधा देने में वक्त अभी
धंधा भी मेरा बेच दिया --------
नीरू"निराली"

इन्तजार

मै हताश गम्भीर
दूर से उसे चुपके से देखती थी,
काश ! कोई पवन ऐसी चल जाए-----
जो ये पतझड बनकर ही सही
मुझपर बरस जाए-----
 किन्तु--- वो दुनियाँ से बेखबर
काले वादलों की तरह---
रेशम की छाँव मे लुप्त
हिमालय की गोद में समाया---
जीवन के दो रंग लिए
एक तनहा एक संग लिए--
बेअसर बेआवाज
दद॔ में लुप्त गूजती रही--
आवाज वीरानो में
आखों में इन्तजार----
और फिर--इन्तजार----------
नीरू"निराली"