Saturday, February 18, 2017

फिर आ जाओ


किया था तुमने जब स्वीकार
लुटाकर सब भूॅलों पर प्यार,,
बिछी थी अधरों पर मुस्कान
ह्दय में उठा था तब मनुहार--!
कहाॅ हो फिर आ जाओ--?

टूटते स्वर को लिया था बाॅध
दी थी मेरे गीतों को एक तान,
जहाॅ को दिये थे मेरे बोल
बना दी जिसने एक पहचान,
कहाॅ हो फिर आ जाओ--?

भर दिये थे तुमने जज्बात
आलिंगन कर मेरे एहसास
ठहरे पानी में हो बरसात
कहीं न बीते ये मधुमास,
कहाॅ हो फिर आ जाओ--?

विरह व्यथा बढती दिनरात
प्राण कहते न अपनी बात
नैनों से हो निसदिन बरसात
करुणामय झुलसी काया जात,
कहाॅ हो फिर आ जाओ--?

नीरू"निराली"

Friday, February 17, 2017

धुॅधला जीवन

धुँधली - धुँधली तस्वीरें हैं
धुँधला जीवन का खेल हुआ --------
जब उम्र ढली तब पता चला
कैसे लोगों से मेल हुआ -------------
तेरे जीवन का अंधियारा
आँखों के दीये से दूर किया ----------
जब आज हमारी बारी है
दिया बाती से दूर किया ---------
जब लड़खड़ाता बचपन था तेरा
मेरा हाथ तेरी बैशाखी थे --------
तुझे ऊँचाइयाँ छूने के लिए
मैंनें सबकुछ था बेच दिया -------
वक्त ने ऐसा बड़ा किया
मुझे बुड्डा तुझे जवान किया --------
कमज़ोर हाथ माँगने लगे
बैशाखी तेरे हाथों की --------
कंधा देने में वक्त अभी
धंधा भी मेरा बेच दिया --------
नीरू"निराली"

इन्तजार

मै हताश गम्भीर
दूर से उसे चुपके से देखती थी,
काश ! कोई पवन ऐसी चल जाए-----
जो ये पतझड बनकर ही सही
मुझपर बरस जाए-----
 किन्तु--- वो दुनियाँ से बेखबर
काले वादलों की तरह---
रेशम की छाँव मे लुप्त
हिमालय की गोद में समाया---
जीवन के दो रंग लिए
एक तनहा एक संग लिए--
बेअसर बेआवाज
दद॔ में लुप्त गूजती रही--
आवाज वीरानो में
आखों में इन्तजार----
और फिर--इन्तजार----------
नीरू"निराली"