Monday, March 20, 2017

दर्द

दर्द ही शायरी दर्द ही है गज़ल
दर्द में ही मै जीती हूॅ शाॅम-ए-शहर,,
मुस्कुराना जरा सा भी गर सीख लूॅ
लफ्ज होते अपाहिज रूठ जाती कलम--------------शुभसंध्या
March 15 at 2:05pm · Privac

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