tag:blogger.com,1999:blog-45431340666310513562024-02-08T04:44:18.284-08:00स्मृतियाँ नीर कीनीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-57011897833237392672018-02-19T04:30:00.002-08:002018-02-19T04:30:13.734-08:00गज़ल<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
पत्थरों पर वो अपना नाम लिखा करती है<br />
होके दीवानी सी राहों में फिरा करती है<br />
<br />
अपने हालात पे ना गुफ्तगू ही की जिसने<br />
तेरे जाने से वो मर-मर के जिया करती है--!<br />
<br />
क्या बताऊं मै तुम्हे कितनी हया है उसमें<br />
अपनी परछाई से खुद आप डरा करती है--!<br />
<br />
कोई उसके लिए क्यों अर्ज दुआँएं कर दें<br />
सबका दामन जो दुआँओ से भरा करती है--!<br />
<br />
कोई धागा न कोई मोती न कोई बंधन<br />
जाने वो कौन से रिस्ते में बंधा करती है--!<br />
<br />
तुने जो दर्द छुपा रख्खा है दिल में अपने<br />
आह भर-भर के तेरा दर्द सुना करती है--!<br />
<br />
कोई अहसास तेरे दिल ने दिया ना जिसको<br />
रोज झूठे ही खयालों में जिया करती है-<br />
<br />
गम के पहलू में कहाँ होती है रातें रोशन<br />
दिल के आँगन में चिरागों सी बुझा करती है--!</div>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-78826028441046602322018-01-28T01:00:00.000-08:002018-01-28T01:00:26.701-08:00गज़ल<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
तू ही पूजा है तू ही आराधना है<br />
कौन कहता तू मेरी आलोचना है<br />
<br />
शब्द वीणा वादिनी चुनती तेरे है<br />
और सिखाती है कि कैसे बोलता है<br />
<br />
प्रेम में जीना ओ मरना सीख लेते<br />
नफरतों की बात क्या फिर सोचना है<br />
<br />
हम चढा देते शहीदों पर गुलिस्ते<br />
फूल फिर माला में क्यों कर गूँथना है<br />
<br />
मखलमी चादर में सोती है सियासत<br />
उसको क्या मालूम किसको जागना है<br />
<br />
हारकर क्यों वक्त से बैठा मुसाफिर<br />
सोचना तुझको है कैसे जीतना है<br />
<br />
ढूबता सूरज उगेगा फिर सबेरे<br />
रात को पहलू में रखकर ताकना है<br />
<br />
नीरू"निराली</div>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-41087691968677152022018-01-18T19:42:00.002-08:002018-01-18T19:43:26.409-08:00शेर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
सहरी दुपहरी शाम सब आलम सभी है रात के<br />
क्यों रात इक पहर में है ये आज तक समझी नहीं</div>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-11902922299730005092018-01-18T06:07:00.002-08:002018-01-18T06:07:48.828-08:00गजल<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ज़िद में आई तो बदनाम कर दूँगी<br />
तेरी कसम मै तुझे बेनाम कर दूँगी<br />
<br />
ऐ मुहब्बत अपनी हद में रह "वरना"<br />
कत्ल तेरा सरेआम कर दूँगी</div>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-36747739879695995302018-01-17T20:43:00.002-08:002018-01-17T20:43:27.353-08:00गजल<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बन्द पलकों में कहानी मेरी<br />
हर नज़र फिर भी दीवानी मेरी--!<br />
<br />
फूल खिलते है बहारों में मगर<br />
अधखिली है रातरानी मेरी--!<br />
<br />
सब नजारों से कहो दूर रहें<br />
ढल चुकी अब तो जवानी मेरी--!<br />
<br />
आइना ढूढ रहा मुझ सा हंसी<br />
पूछता मुझसे जुबानी मेरी--!<br />
<br />
जब मिले वो तो वफा रूठ गई<br />
हाल दिल के भी न जानी मेरी--!<br />
<br />
आसमानों पे छा रहे बादल<br />
प्यास बारिस से पुरानी मेरी--!<br />
<br />
दिल लिया है तो ये साँसे ले जा<br />
मौत न बिन तेरे आनी मेरी--!</div>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-41241805480529443052018-01-17T09:11:00.002-08:002018-01-17T09:11:58.468-08:00गीत<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
तू उगता सूरज अम्बर का मैं धानी परिधान <div>
कैसे न तुझको हो अभिमान </div>
<div>
<br /></div>
<div>
सुख भी सौपा दुःख भी सौपा सौपी आस प्यास भी</div>
<div>
सीप सी प्यासी रही जलधि में बूँद बूँद को तरसी </div>
<div>
सो जाता है मुझ पर सागर रोज़ ही चादर तान </div>
<div>
कैसे अब बचेगी मेरी जान------</div>
<div>
<br /></div>
<div>
धरा करी है तुझे निछाबर,आसमान उपहार दिया </div>
<div>
अपने जीवन का हर एक पल मैंने तेरे नाम किया </div>
<div>
खुद की दुनिया भूल गई मैं तेरा ही ध्यान</div>
<div>
तू ही अब मेरे दिल की शान -------</div>
</div>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-12676272354293604692017-06-13T20:05:00.001-07:002017-06-13T20:05:30.352-07:00<p dir="ltr">लगन भी हार जाती है<br>
गम सहते-सहते</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-11496200717482282632017-06-08T18:52:00.001-07:002017-06-08T18:52:48.118-07:00हाँ शिकायत है<p dir="ltr">[29/03, 17:52] Nirali: हाँ शिकायत है मुझे<br>
______________________<br>
समझ लेते है हम उन्हें,<br>
जब वो हमें समझ नही पाते--</p>
<p dir="ltr">लफ्ज-लफ्ज में रहती है शिकायत हमें<br>
पर दिल का दर्द बता नहीं पाते--</p>
<p dir="ltr">सी लेते है होंठ हम भी,<br>
जब वो खामोशी को समझ नहीं पाते--</p>
<p dir="ltr">पी लेते है ऑसुओं के घूॅट हम भी,<br>
जब वो नशे के बगैर कभी आ नहीं पाते---</p>
<p dir="ltr">निहारते है टूटते तारों को <br>
जब हसरतों को कभी पूरा नहीं पाते-----</p>
<p dir="ltr">छुपा लेते है चेहरे को ऑचल में<br>
जब सुबकते ही रहते रो नहीं पाते --</p>
<p dir="ltr">मेरे साथ तड़फती है तेरी यादें भी बहुत<br>
क्योंकि हम उन्हें भी कभी समझा नही पाते --</p>
<p dir="ltr">सब-सब सबकुछ सह लेते हम<br>
बस तुम जाने से पहले अपना तो कह जाते-----</p>
<p dir="ltr">नीरू"निराली"<br>
[05/05, 18:10] Nirali: आखिरी बार<br>
_________________________<br>
होगा महसूस तुम्हें भी<br>
हर बीता हुआ लम्हा आखिरी बार,<br>
क्षण भर ठिठके कदम <br>
तो तुम सोचोगे भी आखिरी बार,<br>
पेंड़ के नीचे,मंदिर में या फिर <br>
नुक्कड़ पर खड़ी होगी वो आखिरी बार,<br>
ऑखों में मचल रही होगी लहरें<br>
किनारा पाने को भी आखिरी बार,<br>
जकड़ लेना चाहती होगी <br>
वो तुम्हें बाहों में भी आखिरी बार,<br>
खाँमोशी पूँछेगी अनगिनत सवाल<br>
धड़कनों से भी आखिरी बार,<br>
पूँछ लेगी जुवाँ भी एक सवाल<br>
क्या आओगे तुम फिर कभी आखिरी बार,?<br>
हाँ तब तुम कहोगे कि<br>
"मौत से पहले आऊँगा आखिरी बार"<br>
खुदा करे तुम्हारा आना <br>
कभी हो ही न आखिरी बार----!!</p>
<p dir="ltr">नीरू"निराली"</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-17785427131220141832017-06-08T10:30:00.001-07:002017-06-08T10:30:28.176-07:00<p dir="ltr">तुम्हारा थोड़ा सा भी दर्द,<br>
मेरी रंगो से होकर गुजरता है--<br>
तुम्हारी हर परेशानी का,<br>
मतलब ये दिल पूँछता है--<br>
सबब नहीं हमें रिस्तों का<br>
बेनाम है ये-----<br>
वक्त रिस्ते ही नहीं,<br>
तकदीरें भी बदलता है---<br>
जख्म गहरा है फिर भी,<br>
तेरी तलाश में हूँ---<br>
इश्क पागल है फिर भी,<br>
तेरे हर दर्द को समझता है----<br>
मै तेरी निगाहों में रहूँ,<br>
अब ये जरूरी भी नही-----<br>
एक मुहब्बत का घर है ,<br>
जिसमें तू रहता है----------</p>
<p dir="ltr">नीरू"निराली"</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-56596624190924068982017-05-20T06:17:00.001-07:002017-05-20T06:17:41.673-07:00<p dir="ltr">स्मृतियों से झटक मुझे<br>
गर तुम्हे चैन मिल जाए,<br>
जाओ प्रिय दुर्भाग्य तुम्हारा<br>
प्रीत न पीछे आए------------<br>
नीरू"निराली"</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-38010965416386959402017-05-12T08:57:00.001-07:002017-05-12T08:57:28.367-07:00गीत<p dir="ltr">मै मुस्कुराती नहीं हूॅ <br>
पर तन्हाई खिलखिलाती है मुझमें<br>
मै जब भी रूठती हूॅ खुद से<br>
वो परेशानियों का <br>
सबब पूँछती है मुझसे<br>
तब मै मुस्कुराकर कहती हूॅ<br>
बस तू खुश रहे मुझमें<br>
मै जिन्दा हूँ तुझमें<br>
टिक-टिक सुई की आवाज भी न गूँजे जहाॅ<br>
वो ले जाती है वो मुझे नितान्त अकेले में<br>
पूँछती है एक सवाल<br>
क्या तुम्हे खुद से है कोई मलाल ?<br>
झुक जाती है नजरें बिना जवाब के<br>
हाँ है मुझे खुद से मलाल<br>
मेरी काया से लेकर <br>
आत्मा तक जिसने भेद डाली<br>
मेरे इस उपवन का एकमात्र <br>
वही माली<br>
ये तन्हाई तू भी अभी सोच ले<br>
रहना है तुझे इसी वीराने में<br>
क्या तू रह पायेगी ??</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-11072989816239373962017-04-05T00:15:00.001-07:002017-04-05T00:15:23.080-07:00<p dir="ltr">हम लुटते जा रहे थे हसरतों के नाम पर<br>
छलती रही वफा हमें अपनो के नाम पर<br>
सोचा था कि चलते रहेंगे साथ रास्ते<br>
जुदा हुई है राह मंजिलों के नाम पर<br>
-शुभरात्री<br>
नीरू"निराली"</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-20390828557100087012017-04-01T23:11:00.001-07:002017-04-01T23:11:15.738-07:00<p dir="ltr">हर पल सुख के समुन्दर मे तैरती हूॅ<br>
खोई हुई लहरों को,,<br>
भले ही साहिल की तलाश हो<br>
मै तो तुझमें ही मजधार, पतवार<br>
और फिर किनारा ढूँढती हूॅ----------<br>
नीरू"निराली"</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-28148363971693190842017-03-27T22:17:00.001-07:002017-03-27T22:17:12.354-07:00<p dir="ltr">बुत बनकर के रह जायेंगे<br>
वो मीलों के सब पत्थर,,<br>
खाकर ठोकरें जिनसे<br>
तराशा है नसीबों को-----------शुभप्रभात<br>
नीरू"निराली"</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-88857700648232162772017-03-24T20:07:00.001-07:002017-03-24T20:07:56.654-07:00प्रेम की लौ<p dir="ltr">प्रेम की लौ<br>
___________________<br>
विचलित तेरे अन्तःकरण में <br>
जब पुरानी याद थी,<br>
कैसे तेरे उर में समाई बात <br>
मुझसे प्रेम की--!</p>
<p dir="ltr">धमनियाँ मंदिम में भी वो<br>
ताप सा बढने लगा,<br>
उन्माद सी जलने लगी<br>
ज्वाला भी मुझमें प्रेम की--!</p>
<p dir="ltr">नस्तर से जो चुभने लगे<br>
वो शूल मै चुनने लगी,<br>
होने लगी विस्मृत मधुर <br>
पीड़ा भी मुझमें प्रेम की--!</p>
<p dir="ltr">सहस्र दम भरने लगी थी<br>
रात तारों से भरी <br>
बेसुध सी सुस्त चेतना<br>
खोई थी मुझमें प्रेम की--!</p>
<p dir="ltr">विस्मित सी होकर प्रेम मै <br>
जिस पर लुटाती फिर रही,<br>
समाधि सी जलने ही दे वो<br>
लौ तो मुझमें प्रेम की--!</p>
<p dir="ltr">नीरू"निराली"</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-23662147322499138682017-03-22T09:03:00.001-07:002017-03-22T09:03:09.894-07:00<p dir="ltr">Srivastav<br>
बगावत खुद से कर ये दिल<br>
भुला दे उस दीवाने को,,<br>
मौसम की हर इक वादी में<br>
जिसने घर बना रखे-----------शुभरात्री<br>
नीरू"निराली"</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-86581245862538582442017-03-21T07:49:00.001-07:002017-03-21T07:49:26.496-07:00<p dir="ltr">ठहरे कदमों की आहट<br>
पथ का पता नहीं बताती,,<br>
फिर भी एक आहट के लिए<br>
तमाम सरसराहटें सुनती है जिन्दगी----------<br>
नीरू"निराली"</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-78892134278064052702017-03-21T07:11:00.001-07:002017-03-21T07:11:15.185-07:00<p dir="ltr">तुम क्यों तपते हो मेरी जलन में<br>
ये आग तो तुम्ही ने लगाई है-?<br>
क्यों खुश होते हो हमें जिन्दा करके<br>
मेरी मौत का पैगाम ये जिन्दगी ही लाई है-?<br>
क्यों नहीं कहते हो तुम इतना<br>
कि तू अपनी नहीं पराई है-?<br>
लम्हों की बात क्या गुजर गए है सारे<br>
मिलन की रात दुबारा फिर कभी न आई है-?<br>
नीरू"निराली"</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-64487360385204009072017-03-20T22:57:00.001-07:002017-03-20T22:57:11.116-07:00किस्मत<p dir="ltr">जन्म तो मेरी आत्मा ने भी<br>
तुम्हारे लिए ही लिया था,,<br>
ये बात और है कि किस्मत में<br>
मेरी तुम्हे नहीं लिखा था------------सुप्रभात<br>
नीरू"निराली"</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-67826561928085008372017-03-20T22:42:00.001-07:002017-03-20T22:44:23.807-07:00दर्द<p dir="ltr">दर्द ही शायरी दर्द ही है गज़ल<br>
दर्द में ही मै जीती हूॅ शाॅम-ए-शहर,,<br>
मुस्कुराना जरा सा भी गर सीख लूॅ<br>
लफ्ज होते अपाहिज रूठ जाती कलम--------------शुभसंध्या<br>
March 15 at 2:05pm · Privac</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-13105309613554894752017-03-20T22:40:00.001-07:002017-03-20T22:40:28.676-07:00उसूल<p dir="ltr">बदसलूकी मेरा लहजा नही है<br>
बदमिजाजी मेरा उसूल है,<br>
दिल में रख या दिमाग में<br>
तेरा इश्क मुझे कुबूल है----'<br>
नीरू"निराली"</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-1890615089689489202017-03-20T22:38:00.001-07:002017-03-20T22:38:39.203-07:00अहसास<p dir="ltr">"किसी के अनछुए अहसास"<br>
क्या मिलना इन हवाओं से<br>
जो न कुछ कहती है,<br>
न सुनती है<br>
अपनी ही मस्ती में<br>
मस्त होकर चली जाती है--------<br>
नीरू"निराली"</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-28261260949498837002017-03-17T06:18:00.003-07:002017-03-17T06:18:17.264-07:00नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-53899312719276762132017-03-04T05:34:00.001-08:002017-03-04T05:34:50.079-08:00अफसोस<p dir="ltr"><br>
वो छुप सकते थे पहलू में<br>
मगर मैने नही रोका,,<br>
जिन्हे औरों की चाहत हो<br>
वो हर्गिज बन्ध नही सकते------<br>
खोजते रहते है जो जिन्दगी को<br>
दर-बदर हरदम,,<br>
अपने दहलीज का घूॅघट भी<br>
जो उठा नही सकते--<br>
कसम से चाहता है दिल<br>
लगा दूॅ आग गुरुबत को,,<br>
तमाशा देखने वाले<br>
धुॅऐ से जल नही सकते----</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4543134066631051356.post-30849298901042579812017-02-18T04:55:00.001-08:002017-02-18T04:55:13.452-08:00फिर आ जाओ<p dir="ltr"><br>
किया था तुमने जब स्वीकार<br>
लुटाकर सब भूॅलों पर प्यार,,<br>
बिछी थी अधरों पर मुस्कान<br>
ह्दय में उठा था तब मनुहार--!<br>
कहाॅ हो फिर आ जाओ--?<br></p>
<p dir="ltr">टूटते स्वर को लिया था बाॅध<br>
दी थी मेरे गीतों को एक तान,<br>
जहाॅ को दिये थे मेरे बोल<br>
बना दी जिसने एक पहचान,<br>
कहाॅ हो फिर आ जाओ--?<br></p>
<p dir="ltr">भर दिये थे तुमने जज्बात<br>
आलिंगन कर मेरे एहसास<br>
ठहरे पानी में हो बरसात<br>
कहीं न बीते ये मधुमास,<br>
कहाॅ हो फिर आ जाओ--?<br></p>
<p dir="ltr">विरह व्यथा बढती दिनरात<br>
प्राण कहते न अपनी बात<br>
नैनों से हो निसदिन बरसात<br>
करुणामय झुलसी काया जात,<br>
कहाॅ हो फिर आ जाओ--?</p>
<p dir="ltr">नीरू"निराली"</p>
नीरू श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/02750133677398876681noreply@blogger.com0