पत्थरों पर वो अपना नाम लिखा करती है
होके दीवानी सी राहों में फिरा करती है
अपने हालात पे ना गुफ्तगू ही की जिसने
तेरे जाने से वो मर-मर के जिया करती है--!
क्या बताऊं मै तुम्हे कितनी हया है उसमें
अपनी परछाई से खुद आप डरा करती है--!
कोई उसके लिए क्यों अर्ज दुआँएं कर दें
सबका दामन जो दुआँओ से भरा करती है--!
कोई धागा न कोई मोती न कोई बंधन
जाने वो कौन से रिस्ते में बंधा करती है--!
तुने जो दर्द छुपा रख्खा है दिल में अपने
आह भर-भर के तेरा दर्द सुना करती है--!
कोई अहसास तेरे दिल ने दिया ना जिसको
रोज झूठे ही खयालों में जिया करती है-
गम के पहलू में कहाँ होती है रातें रोशन
दिल के आँगन में चिरागों सी बुझा करती है--!
होके दीवानी सी राहों में फिरा करती है
अपने हालात पे ना गुफ्तगू ही की जिसने
तेरे जाने से वो मर-मर के जिया करती है--!
क्या बताऊं मै तुम्हे कितनी हया है उसमें
अपनी परछाई से खुद आप डरा करती है--!
कोई उसके लिए क्यों अर्ज दुआँएं कर दें
सबका दामन जो दुआँओ से भरा करती है--!
कोई धागा न कोई मोती न कोई बंधन
जाने वो कौन से रिस्ते में बंधा करती है--!
तुने जो दर्द छुपा रख्खा है दिल में अपने
आह भर-भर के तेरा दर्द सुना करती है--!
कोई अहसास तेरे दिल ने दिया ना जिसको
रोज झूठे ही खयालों में जिया करती है-
गम के पहलू में कहाँ होती है रातें रोशन
दिल के आँगन में चिरागों सी बुझा करती है--!