Wednesday, January 17, 2018

गजल

बन्द पलकों में कहानी मेरी
हर नज़र फिर भी दीवानी मेरी--!

फूल खिलते है बहारों में मगर
अधखिली है रातरानी मेरी--!

सब नजारों से कहो दूर रहें
ढल चुकी अब तो जवानी मेरी--!

आइना ढूढ रहा मुझ सा हंसी
पूछता मुझसे जुबानी मेरी--!

जब मिले वो तो वफा रूठ गई
हाल दिल के भी न जानी मेरी--!

आसमानों पे छा रहे बादल
प्यास बारिस से पुरानी मेरी--!

दिल लिया है तो ये साँसे ले जा
मौत न बिन तेरे आनी मेरी--!

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