बुत बनकर के रह जायेंगे
वो मीलों के सब पत्थर,,
खाकर ठोकरें जिनसे
तराशा है नसीबों को-----------शुभप्रभात
नीरू"निराली"
Monday, March 27, 2017
Friday, March 24, 2017
प्रेम की लौ
प्रेम की लौ
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विचलित तेरे अन्तःकरण में
जब पुरानी याद थी,
कैसे तेरे उर में समाई बात
मुझसे प्रेम की--!
धमनियाँ मंदिम में भी वो
ताप सा बढने लगा,
उन्माद सी जलने लगी
ज्वाला भी मुझमें प्रेम की--!
नस्तर से जो चुभने लगे
वो शूल मै चुनने लगी,
होने लगी विस्मृत मधुर
पीड़ा भी मुझमें प्रेम की--!
सहस्र दम भरने लगी थी
रात तारों से भरी
बेसुध सी सुस्त चेतना
खोई थी मुझमें प्रेम की--!
विस्मित सी होकर प्रेम मै
जिस पर लुटाती फिर रही,
समाधि सी जलने ही दे वो
लौ तो मुझमें प्रेम की--!
नीरू"निराली"
Wednesday, March 22, 2017
Tuesday, March 21, 2017
Monday, March 20, 2017
किस्मत
जन्म तो मेरी आत्मा ने भी
तुम्हारे लिए ही लिया था,,
ये बात और है कि किस्मत में
मेरी तुम्हे नहीं लिखा था------------सुप्रभात
नीरू"निराली"
दर्द
दर्द ही शायरी दर्द ही है गज़ल
दर्द में ही मै जीती हूॅ शाॅम-ए-शहर,,
मुस्कुराना जरा सा भी गर सीख लूॅ
लफ्ज होते अपाहिज रूठ जाती कलम--------------शुभसंध्या
March 15 at 2:05pm · Privac
उसूल
बदसलूकी मेरा लहजा नही है
बदमिजाजी मेरा उसूल है,
दिल में रख या दिमाग में
तेरा इश्क मुझे कुबूल है----'
नीरू"निराली"
अहसास
"किसी के अनछुए अहसास"
क्या मिलना इन हवाओं से
जो न कुछ कहती है,
न सुनती है
अपनी ही मस्ती में
मस्त होकर चली जाती है--------
नीरू"निराली"
Friday, March 17, 2017
Saturday, March 4, 2017
अफसोस
वो छुप सकते थे पहलू में
मगर मैने नही रोका,,
जिन्हे औरों की चाहत हो
वो हर्गिज बन्ध नही सकते------
खोजते रहते है जो जिन्दगी को
दर-बदर हरदम,,
अपने दहलीज का घूॅघट भी
जो उठा नही सकते--
कसम से चाहता है दिल
लगा दूॅ आग गुरुबत को,,
तमाशा देखने वाले
धुॅऐ से जल नही सकते----