दर्द ही शायरी दर्द ही है गज़ल दर्द में ही मै जीती हूॅ शाॅम-ए-शहर,, मुस्कुराना जरा सा भी गर सीख लूॅ लफ्ज होते अपाहिज रूठ जाती कलम--------------शुभसंध्या March 15 at 2:05pm · Privac
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