तुम क्यों तपते हो मेरी जलन में
ये आग तो तुम्ही ने लगाई है-?
क्यों खुश होते हो हमें जिन्दा करके
मेरी मौत का पैगाम ये जिन्दगी ही लाई है-?
क्यों नहीं कहते हो तुम इतना
कि तू अपनी नहीं पराई है-?
लम्हों की बात क्या गुजर गए है सारे
मिलन की रात दुबारा फिर कभी न आई है-?
नीरू"निराली"
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