मै मुस्कुराती नहीं हूॅ
पर तन्हाई खिलखिलाती है मुझमें
मै जब भी रूठती हूॅ खुद से
वो परेशानियों का
सबब पूँछती है मुझसे
तब मै मुस्कुराकर कहती हूॅ
बस तू खुश रहे मुझमें
मै जिन्दा हूँ तुझमें
टिक-टिक सुई की आवाज भी न गूँजे जहाॅ
वो ले जाती है वो मुझे नितान्त अकेले में
पूँछती है एक सवाल
क्या तुम्हे खुद से है कोई मलाल ?
झुक जाती है नजरें बिना जवाब के
हाँ है मुझे खुद से मलाल
मेरी काया से लेकर
आत्मा तक जिसने भेद डाली
मेरे इस उपवन का एकमात्र
वही माली
ये तन्हाई तू भी अभी सोच ले
रहना है तुझे इसी वीराने में
क्या तू रह पायेगी ??
Friday, May 12, 2017
गीत
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