Thursday, June 8, 2017

तुम्हारा थोड़ा सा भी दर्द,
मेरी रंगो से होकर गुजरता है--
तुम्हारी हर परेशानी का,
मतलब ये दिल पूँछता है--
सबब नहीं हमें रिस्तों का
बेनाम है ये-----
वक्त रिस्ते ही नहीं,
तकदीरें भी बदलता है---
जख्म गहरा है फिर भी,
तेरी तलाश में हूँ---
इश्क पागल है फिर भी,
तेरे हर दर्द को समझता है----
मै तेरी निगाहों में रहूँ,
अब ये जरूरी भी नही-----
एक मुहब्बत का घर है ,
जिसमें तू रहता है----------

नीरू"निराली"

No comments:

Post a Comment